देखा है तुझे जबसे भिंडी बाज़ार में,
अंडे उबल रहे हैं दिल-ऐ-बेकरार में,
पकड़ी हुई थी तूने जो हाथ में लौकी,
बेकैफ़ सी खोयी थी दो जोड़ी समार में,
पीछा किया था तेरा, मंडी से मोहल्ला,
मुड के कहेगी तू कुछ इसी इंतज़ार में,
घर आया तो देखा तेरा अब्बू था वहाँ पर,
गुंडा बना खड़ा था कमसिन से प्यार में,
मैं जनता हूँ तेरा वालिद खडूस है,
हो जाए बेडा गर्क उसका इस बहार में,
चक्कर में तेरे ले लिया तरबूज़ का ठेला,
कि मेरे भी पास आए तू अब के बाज़ार में,
1 comment:
damn good .......... lol
Post a Comment